Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। राज्य की सत्ता पर कौन काबिज होगा, इसका फैसला 14 नवंबर को होने वाला है। चुनाव की घोषणा के साथ ही बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर सीट बंटवारे को लेकर दोनों खेमों में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।
NDA में सीटों पर पेंच
एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर भारी मतभेद देखने को मिल रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जेडीयू दोनों 103-103 सीटों पर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं। लेकिन गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों की मांगें भाजपा के लिए सिरदर्द बन गई हैं। जीतन राम मांझी की हम पार्टी 15 से 18 सीटों की मांग कर रही है, जबकि भाजपा 8 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो (RLSP) 15 सीटों पर दावा ठोक रही है। वहीं चिराग पासवान की एलजेपी (LJP) ने 40 से 45 सीटों की मांग रख दी है।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा उन्हें केवल 20 सीट देने के लिए तैयार है और समझौते के रूप में एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट की पेशकश कर सकती है। धर्मेंद्र प्रधान, जो बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी हैं, इस मुद्दे पर मांझी, कुशवाहा और ललन सिंह से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।
INDIA गठबंधन में भी सीट शेयरिंग पर रार जारी
इंडिया गठबंधन में भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला पूरी तरह तय नहीं हो पाया है। तेजस्वी यादव की राजद 130 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है, जबकि कांग्रेस के लिए 55 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि कांग्रेस उन सीटों को बदलना चाहती है जहां लगातार हार का सामना करना पड़ा है। इन सीटों में पटना साहिब, कुम्हरार, और गया शामिल हैं, जहां पहले कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन पिछले चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
सूत्रों के अनुसार, आज शाम तेजस्वी यादव के आवास पर होने वाली बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
‘INDIA’ में फंसा समीकरण
इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दलों की मांगें भी फॉर्मूला तय करने में बड़ी बाधा बन रही हैं। मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी ने शुरुआत में 60 सीटों की मांग की थी, जो अब घटकर 20 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद की शर्त पर आ गई है।
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में 7 सीटों की मांग रखी है, जिनमें बांका, कटोरिया, चकाई, पूर्णिया, धमदाहा और मनिहारी जैसी सीटें शामिल हैं, जहां 2020 में आरजेडी दूसरे स्थान पर रही थी। वाम दल (Left Parties) ने भी अपनी मांगें बढ़ा दी हैं – माकपा (CPI-M) ने 4 से बढ़ाकर 11 सीटों की डिमांड की है, और कुल मिलाकर वाम गठबंधन अब 35 सीटों की मांग कर रहा है।
कांग्रेस की नई रणनीति
कांग्रेस अब नई रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी उन सीटों को बदलने की कोशिश में है जहां पिछले कई चुनावों से लगातार हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी का मानना है कि इस बदलाव से उसका जनाधार मजबूत होगा और सीट जीतने की संभावना बढ़ेगी।
सियासी गणित उलझा, समझौते की कोशिश जारी
दोनों गठबंधनों के नेता समय रहते विवाद सुलझाने की कोशिशों में जुटे हैं। एनडीए में भाजपा अपने सहयोगियों को मनाने में लगी है, जबकि इंडिया गठबंधन में तेजस्वी यादव सभी दलों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सीटों के इस सियासी गणित में कौन-सा गठबंधन पहले ऐलान करता है और जनता के सामने एकजुट होकर उतर पाता है।
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