Barabanki News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में जुलाई महीने की शुरुआत से एक के बाद एक स्कूली बच्चों के बीमार पड़ने और मौत की खबरों ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। जिले में दो छात्रों की मौत हो चुकी है जबकि कई दर्जन छात्र अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके हैं। यह स्थिति सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं बल्कि शिक्षा और सामाजिक जागरूकता से भी जुड़ी है।
1 जुलाई से शुरू हुआ घटनाक्रम
पहली घटना 1 जुलाई को सामने आई, जब सेंट एंथोनी स्कूल के छात्र अखिल की अचानक मौत हो गई। बताया गया कि वह ‘साइलेंट अटैक’ का शिकार हुआ था। इस घटना से लोग उबरे भी नहीं थे कि 19 जुलाई को सरस्वती स्कूल की छात्रा नंदिनी की भी रहस्यमय हालात में मौत हो गई।
इन दोनों घटनाओं के बाद शहर के अलग-अलग स्कूलों से दर्जनों छात्रों की तबीयत बिगड़ने की खबरें आने लगीं। बच्चों में घबराहट, मतली, चक्कर जैसी शिकायतें देखी गईं और सभी को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। फिलहाल सभी की हालत स्थिर बताई जा रही है।
जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि हुए सक्रिय
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गया। सपा विधायक धर्मराज और गौरव रावत ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जांच की मांग की। वहीं भाजपा एमएलसी अंगद सिंह ने खुद डीएम से फोन पर बातचीत कर हालात की जानकारी ली।
जिलाधिकारी के निर्देश पर DIOS ओपी त्रिपाठी ने सभी स्कूलों को ORS उपलब्ध कराने, आउटडोर एक्टिविटी पर अस्थायी रोक लगाने और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया।
CMO का बयान, गर्मी, खाली पेट और डर है वजह
CMO डॉ. अवधेश यादव ने कहा कि अधिकतर बच्चों को घबराहट, चक्कर और कमजोरी की शिकायत थी जो गर्मी, डिहाइड्रेशन, और खाली पेट स्कूल आने के कारण हो सकती है। बच्चों को विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया और इलाज के बाद वे अब स्वस्थ हैं।
सोशल मीडिया अफवाहों ने बढ़ाया मानसिक तनाव
बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ गर्मी ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर ‘साइलेंट अटैक’ से जुड़ी भ्रामक खबरों ने बच्चों में डर और तनाव बढ़ाया, जिससे नोसिबो इफेक्ट (सोच के कारण होने वाले शारीरिक लक्षण) भी उत्पन्न हुआ।
स्कूलों और अभिभावकों को बरतनी होगी विशेष सावधानी
इस पूरे मामले ने स्कूली व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। आज भी कई स्कूलों में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, फर्स्ट एड किट, और हेल्थ चेकअप जैसी मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं हैं।
प्रशासन को चाहिए:
- प्रत्येक स्कूल में हेल्थ कॉर्नर हो
- ORS और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित हो
- सोशल मीडिया अफवाहों पर निगरानी रखी जाए
- अभिभावक बच्चों को नाश्ता कराकर और पानी पिलाकर स्कूल भेजें
शिक्षा के साथ जरूरी है स्वास्थ्य जागरूकता
बाराबंकी की यह घटना इस बात की चेतावनी है कि हमें शिक्षा के साथ-साथ ‘स्वास्थ्य साक्षरता’ और मानसिक जागरूकता को भी बढ़ावा देना होगा। यह सिर्फ एक जिला या स्कूल का मामला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की परीक्षा है।
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