Asrani Passed Away: भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक गोवर्धन असरानी, जिन्हें प्यार से असरानी कहा जाता था, का सोमवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उनके मैनेजर बाबू भाई थिबा ने बताया कि असरानी ने जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में दोपहर 3 बजे अंतिम सांस ली।
परिवार ने उनके आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर बयान जारी करते हुए कहा —“जिस व्यक्ति ने सबके चेहरों पर मुस्कान लाई, वह अब हमारे बीच नहीं रहा। उनका जाना हिंदी सिनेमा और हमारे दिलों के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। ॐ शांति।”
जयपुर से बॉलीवुड तक असरानी की प्रेरक यात्रा
1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद आकाशवाणी में स्वर कलाकार के रूप में करियर शुरू किया। अभिनय की बारीकियाँ उन्होंने साहित्य कला भवन में सीखी और 1962 में अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई आ गए।
फिल्म निर्माता ऋषिकेश मुखर्जी से मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया। मुखर्जी की सलाह पर असरानी ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में दाखिला लिया और 1966 में स्नातक किया।
शुरुआती संघर्ष और गुड्डी से मिली पहचान
शुरुआत में उन्हें “हम कहाँ जा रहे हैं”, “हरे कांच की चूड़ियाँ” और “उमंग” जैसी फिल्मों में छोटे किरदार मिले। पर असली पहचान उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म “गुड्डी” (1971) से मिली। इस फिल्म में जया भादुड़ी के साथ असरानी ने एक महत्वाकांक्षी अभिनेता की भूमिका निभाई, जो दर्शकों के दिलों में बस गई।
असरानी की यादगार फिल्में और शोले का ‘सनकी जेलर’
असरानी ने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी प्रमुख फिल्मों में — बावर्ची, नमक हराम, चुपके चुपके, अभिमान, रफू चक्कर, खून पसीना, छोटी सी बात, पति पत्नी और वो और अमदावाद नो रिक्शावालो शामिल हैं।
हालांकि, उन्हें सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली 1975 की क्लासिक फिल्म “शोले” में निभाए गए “सनकी जेलर” के किरदार से। असरानी ने इस भूमिका को लेकर कहा था — “50 साल बाद भी लोग मुझसे वही डायलॉग सुनना चाहते हैं। यह किरदार मेरे जीवन की सबसे बड़ी पहचान बन गया।”
निर्देशन और आखिरी फिल्म
असरानी ने सिर्फ अभिनय ही नहीं किया, बल्कि छह फिल्मों का निर्देशन भी किया। उन्हें आखिरी बार 2023 में रिलीज़ हुई कॉमेडी फिल्म “नॉन स्टॉप धमाल” में देखा गया था।
उनके साथ उनकी पत्नी अभिनेत्री मंजू असरानी हैं, जो हमेशा उनके साथ हर सुख-दुख में खड़ी रहीं। असरानी का अंतिम संस्कार सोमवार शाम सांताक्रूज़ श्मशान घाट में किया गया।
असरानी की विरासत हमेशा रहेगी अमर
असरानी ने अपनी कॉमेडी, संवाद अदायगी और अभूतपूर्व टाइमिंग से हिंदी सिनेमा को नई ऊँचाइयाँ दीं। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक युग का अंत है।
उनके किरदार हमेशा दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान लाते रहेंगे और उनकी हँसी की गूंज सिनेमा जगत में सदैव बनी रहेगी। “जिसने हमें हँसना सिखाया, वह अब सितारों में मुस्कुरा रहा है।”
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