Aniruddhacharya Controversy: बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पाटनी की बहन और पूर्व सेना अधिकारी खुश्बू पाटनी ने अनिरुद्धाचार्य महाराज के विवादित बयान पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली खुश्बू ने एक वीडियो शेयर करते हुए अनिरुद्धाचार्य को एंटी-नेशनल तक कह डाला। उनका कहना है कि ऐसे बाबाओं को समाज में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए और इनका बहिष्कार किया जाना चाहिए।
क्या कहा खुश्बू पाटनी ने वीडियो में?
खुश्बू पाटनी ने वीडियो में गुस्से भरे लहजे में कहा, “कहता है, लड़के लाते हैं 25 साल की लड़कियों को जो 4-5 जगह मुंह मारकर आती हैं। अगर ये मेरे सामने होता तो मैं इसे समझा देती कि मुंह मारना क्या होता है।” खुश्बू ने आगे कहा कि ये सब एंटी नेशनलिस्ट सोच को दर्शाता है और इसे बढ़ावा देना देश के लिए खतरनाक है।
लिव-इन रिलेशन को लेकर भी जताई नाराजगी
खुश्बू पाटनी ने अनिरुद्धाचार्य पर निशाना साधते हुए कहा, “वो कहता है कि लड़कियां जो लिव इन में रहती हैं, वो मुंह मारती हैं। उसने ये क्यों नहीं कहा कि लड़के भी तो लिव इन में रहते हैं? क्या लिव इन में लड़की अकेले रहती है?” खुश्बू ने समाज में महिलाओं को गलत नजर से देखने वाली मानसिकता को आड़े हाथों लिया और इसे पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा बताया।
अनिरुद्धाचार्य महाराज का विवादित बयान
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने हाल ही में कहा था कि लड़कियों की शादी 25 साल से पहले होनी चाहिए, क्योंकि उसके बाद उनके कई बॉयफ्रेंड हो जाते हैं। उनका कहना था कि सोशल मीडिया ने लड़कियों को अस्थिर कर दिया है और माता-पिता को समय रहते शादी करा देनी चाहिए। उनकी इस स्त्री-विरोधी सोच पर सोशल मीडिया पर आलोचना की बाढ़ आ गई है।
एक्स-आर्मी ऑफिसर से वेलनेस कोच तक का सफर
खुश्बू पाटनी पूर्व आर्मी ऑफिसर हैं। उन्होंने न केवल देश की सेवा की है, बल्कि सोशल मुद्दों पर भी अपनी आवाज बुलंद की है। कुछ महीने पहले उन्होंने एक छोटी बच्ची की जान बचाई थी, जिसे माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था। खुश्बू ने उसे अस्पताल पहुंचाया और इलाज करवाया।
अब वह एक वेलनेस और फिटनेस कोच के रूप में काम कर रही हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर मेंटल हेल्थ, हेल्दी लाइफस्टाइल और मोटिवेशनल टॉपिक्स पर वीडियो मिलते हैं।
महिलाओं की गरिमा पर चोट बर्दाश्त नहीं
अनिरुद्धाचार्य जैसे धर्मगुरुओं द्वारा दिए गए महिला विरोधी और असंवेदनशील बयानों के खिलाफ आवाज उठाकर खुश्बू पाटनी ने एक मिसाल पेश की है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब समाज ऐसे बयानों को नजरअंदाज करना बंद करे और खुलकर विरोध करे।
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