Agra News: दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल सिर्फ मोहब्बत की मिसाल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मेहमाननवाजी का भी प्रतीक है। इसका एक ताजा उदाहरण सामने आया है ताजमहल परिसर से, जहां दो विदेशी महिलाओं की साड़ी खुलने पर एक महिला कांस्टेबल ने जो संवेदनशीलता दिखाई, उसने भारत के ‘अतिथि देवो भव’ के मूल मंत्र को साकार कर दिया।
विदेशी सैलानियों की असहजता में संवेदनशीलता की झलक
दो विदेशी महिला पर्यटक ताजमहल भ्रमण के लिए पारंपरिक भारतीय परिधान साड़ी पहनकर पहुंची थीं। लेकिन भीड़-भाड़ के बीच उनकी साड़ी अचानक खुल गई, जिससे वे असहज हो गईं। मौके पर तैनात महिला कांस्टेबल ने जब यह स्थिति देखी, तो तुरंत दोनों के पास पहुंचीं और साड़ी को ठीक करने में मदद की।
कैमरे में कैद हुआ भारतीय संस्कार और सेवा भाव
इस पूरे घटनाक्रम को एक पर्यटक ने कैमरे में कैद कर लिया, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में महिला कांस्टेबल की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को देखकर लोगों ने जमकर सराहना की। वीडियो पर हज़ारों लाइक और कमेंट्स आ चुके हैं, जिसमें लोग भारतीय संस्कृति और पुलिस की मानवता को सलाम कर रहे हैं।
वर्दी में भारतीय संस्कृति की झलक
महिला कांस्टेबल ने सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि भारतीय मूल्य और संस्कार भी दिखाए। उन्होंने दोनों विदेशी महिलाओं को न सिर्फ साड़ी बांधकर दी, बल्कि उन्हें इसे सही तरीके से पहनने का तरीका भी बताया। यह दृश्य भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान और मेहमानों के प्रति आदर का ज्वलंत उदाहरण है।
सोशल मीडिया पर तारीफों की बाढ़
इस वीडियो के वायरल होते ही ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग कहने लगे कि “यह है असली भारत”, “महिला कांस्टेबल ने दिल जीत लिया”, “यह है अतिथि देवो भव की भावना”।
अधिकारियों ने की सराहना, जनता ने दिखाई प्रसन्नता
स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने भी महिला कांस्टेबल की त्वरित प्रतिक्रिया और मानवीय व्यवहार की सराहना की है। आगरा के लोगों ने गर्व के साथ कहा कि हमारे शहर की यह छवि विदेशों तक पहुंचेगी और ताजमहल की पहचान एक बार फिर दिलों को छूने वाली बन जाएगी।
संवेदनशील पहल से भारत की छवि और निखरी
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों का देश नहीं, बल्कि संवेदनाओं, संस्कृति और सेवा का भी परिचायक है। महिला कांस्टेबल की यह पहल उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है जो वर्दी में सिर्फ अनुशासन नहीं, बल्कि मानवीयता भी ढूंढते हैं।
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