Ujjain News: धार्मिक नगरी उज्जैन ने इस बार नवरात्र पर्व पर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान अपने नाम किया। रविवार को यहां 121 स्थलों पर एक साथ 25 हजार से अधिक कन्याओं का पूजन किया गया। यह आयोजन इतना विशाल था कि इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। यह सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि नारी सम्मान और सामाजिक एकता का भी संदेश देता है।
लोकमान्य तिलक समिति ने संभाली जिम्मेदारी
इस अनोखे आयोजन का नेतृत्व लोकमान्य तिलक समिति ने किया। समिति के संयोजक और विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता में शहरवासियों का अभूतपूर्व योगदान रहा। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में कन्याओं का पूजन न सिर्फ धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ाता है, बल्कि समाज में महिलाओं और बालिकाओं के सम्मान का संदेश भी देता है।
नवरात्र पर्व और कन्या पूजन का महत्व
भारत में नवरात्र पर्व शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है। इस दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे मां दुर्गा के स्वरूप की आराधना माना जाता है। उज्जैन में हुए इस आयोजन को इसी परंपरा का विस्तार समझा जा रहा है। यह न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक एकजुटता का भी संदेश देता है।
121 स्थलों पर हुआ सामूहिक आयोजन
पूरे उज्जैन शहर में 121 स्थलों पर एक ही समय में कन्या पूजन का यह भव्य आयोजन हुआ। हजारों परिवारों और संगठनों ने इसमें भाग लिया। इस दौरान न केवल धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए, बल्कि कन्याओं को स्नेह, उपहार और आशीर्वाद भी प्रदान किए गए।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज
इतने बड़े पैमाने पर कन्या पूजन का आयोजन पहली बार हुआ है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम ने मौके पर आकर इस रिकॉर्ड को दर्ज किया। इसके साथ ही उज्जैन का नाम विश्व स्तर पर चमका और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान मिली।
नारी सम्मान और सामाजिक संदेश
आयोजकों का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना नहीं था। यह कार्यक्रम महिलाओं और बेटियों के सम्मान का संदेश देने के लिए किया गया। कन्या पूजन को समाज में समानता, आदर और सम्मान की भावना से जोड़ा गया है।
स्थानीय नागरिकों की भूमिका
उज्जैन के नागरिकों ने इस आयोजन को यादगार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हजारों लोगों ने कन्या पूजन में सक्रिय भागीदारी निभाई और इसे सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। स्थानीय संगठनों ने भी सहयोग कर इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने में योगदान दिया।
वैश्विक स्तर पर पहचान
इस आयोजन को भारतीय संस्कृति की एक जीवंत मिसाल माना जा रहा है। उज्जैन का यह कार्यक्रम न केवल देशभर में चर्चा का विषय बना, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। इससे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को नई ऊंचाई मिली है।
ये भी पढ़ें : Asia Cup 2025: एशिया कप में पाकिस्तान को हराकर भारत बना चैंपियन, पूरे देश में जश्न का माहौल!
ये भी देखें : India की जीत पर बोले BJP नेता, Rekha Gupta और Manoj Tiwari का बयान