Delhi News: नई दिल्ली में सोमवार को विपक्षी सांसदों ने भारत सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया। संसद से चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च निकालने वाले इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, शरद पवार और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेता कर रहे थे। ये नेता बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों में वोट चोरी के आरोपों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। हालांकि, पुलिस ने इस अनाधिकृत प्रदर्शन को रोक दिया और कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में ले लिया।
विपक्षी सांसदों का मार्च और पुलिस का रोकना
संसद के मकर द्वार से शुरू हुआ मार्च चुनाव आयोग तक पहुंचने से पहले ही ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर पुलिस द्वारा लगाए गए भारी बैरिकेडिंग के कारण रोक दिया गया। विरोध प्रदर्शन में शामिल कई महिला सांसद जैसे टीएमसी की महुआ मोइत्रा, कांग्रेस की संजना जातव और जोथमानी बैरिकेड पार कर नाराजगी जाहिर करती दिखीं। विरोध के दौरान सांसद सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक कर बसों में बैठा दिया। विरोध प्रदर्शन का मकसद चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपना था, लेकिन मार्च चुनाव आयोग भवन तक पहुंचने से पहले ही समाप्त हो गया।
राहुल गांधी समेत कई नेताओं के बयान
विरोध प्रदर्शन के दौरान कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गिरफ्तारी के समय कहा, “यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा के लिए है। हम ‘एक आदमी, एक वोट’ के लिए लड़ रहे हैं और चाहते हैं कि मतदाता सूची साफ-सुथरी हो।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सच छुपा रही है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। इसी बीच, कई महिला सांसदों के बेहोश होने पर राहुल गांधी ने उनकी मदद भी की।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस प्रदर्शन को लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की तानाशाही काम नहीं करेगी और चुनाव आयोग की इस SIR प्रक्रिया के जरिए संविधान को खतरे में डाला जा रहा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार को कायर बताया और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और सरकार में सांठगांठ है।
चुनाव आयोग और सरकार की जवाबी कार्रवाई
विपक्ष के आरोपों को बीजेपी और चुनाव आयोग ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्षी दलों पर देश में अराजकता फैलाने का आरोप लगाया और राहुल गांधी के वोट चोरी के दावे को झूठ बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पूरी तरह वैध और आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और देश के संवैधानिक संस्थानों पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाने को गलत बताया गया।
मतदाता सूची विवाद से संसद का गतिरोध
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद का मानसून सत्र लगभग ठप है। विपक्षी सांसद लगातार इस मुद्दे पर बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हो रही है और लोकतंत्र खतरे में है। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उनकी प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और निष्पक्ष है।
मामला क्यों बड़ा हुआ?
मतदान हमारे लोकतंत्र का आधार है और हर नागरिक का यह मौलिक अधिकार है कि उसका वोट सही तरीके से गिना जाए। चुनाव आयोग के प्रति उठे ये सवाल इसलिए गंभीर हैं क्योंकि अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी होती है तो आम आदमी के वोट की कीमत घट जाती है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार और चुनाव आयोग मिलकर वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिससे विपक्ष के वोटरों को नुकसान हो सकता है।
विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर संसद से लेकर सड़क तक लड़ाई छेड़ रखी है। बिना अनुमति के मार्च निकालना विपक्ष का राजनीतिक कदम है ताकि वह अपने आरोपों को सार्वजनिक और प्रभावी बना सके। हालांकि पुलिस ने इसे गैरकानूनी बताया और नेताओं को हिरासत में ले लिया। फिर भी विपक्ष ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना जारी रखा है।
वहीं सरकार और चुनाव आयोग इसे विपक्ष की राजनीतिक चाल मानते हैं, जो हर कदम पर सवाल उठाते हैं और देश के संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह मामला अभी जारी है और आने वाले दिनों में इस पर और राजनीतिक हलचल देखने को मिलेगी। लोकतंत्र की मजबूती और निष्पक्ष चुनाव के लिए इस विवाद का निपटारा बेहद जरूरी है।
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