प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 9 और 10 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिल्ली को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लगाए गए प्रतिबंधों के तहत राष्ट्रीय राजधानी में पैराग्लाइडर, पैरामोटर, हैंग ग्लाइडर, यूएवी, यूएएस, माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट, रिमोट से संचालित एयरक्राफ्ट, हॉट एयर बैलून, छोटे आकार के पावर्ड एयरक्राफ्ट और क्वाडकॉप्टर जैसे किसी भी उप-पारंपरिक हवाई प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल पर राजधानी में रोक है। इन आदेशों का उल्लंघन करने वालों को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत सजा का सामना करना पड़ेगा।
9 जून को शपथ लेंगे नरेंद्र मोदी
अरोड़ा ने आपराधिक, असामाजिक तत्वों या भारत विरोधी आतंकवादियों के बारे में चिंता व्यक्त की और कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ये आम जनता, गणमान्य व्यक्तियों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।ज्ञात हो की दिल्ली में यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद की गई है।
लोकसभा में NDA को बहुमत
इससे पहले आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन NDA 293 सीटों के साथ विजयी हुआ, जो कि बहुमत के लिए 272 सीटों की सीमा को पार कर गया। राष्ट्रपति का निमंत्रण मिलने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जनादेश के लिए आभार व्यक्त किया और देश की तीव्र प्रगति जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद का भी जिक्र किया और कहा कि दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद भारत आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण लाभ उठाने के लिए तैयार है।
अगले पांच वर्ष वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अत्यंत अनुकूल : मोदी
मोदी ने कहा, दुनिया कई संकटों, तनावों, आपदाओं से गुजर रही है और हम भारतीय भाग्यशाली हैं कि इतने बड़े संकटों के बावजूद, आज हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में जाने जाते हैं। विकास के लिए दुनिया में हमारी प्रशंसा भी हो रही है। पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अगले पांच वर्ष वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अत्यंत अनुकूल होंगे, क्योंकि देश विश्व के लिए विश्वबंधु या वैश्विक मित्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा।