नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी की जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणी पर ऐतराज जताया। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिसको जो कुछ भी कहना है कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपनी बातें कहे। कोर्ट की कार्रवाई के समानांतर कहीं और बहस नहीं की जानी चाहिए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता सोशल मीडिया पर बहस करना चाहते हैं तो ये उन पर है, वो कोर्ट में आये हैं तो उन्हें कोर्ट में बहस करना चाहिए। उन्हें कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वे सभी को अपना पक्ष रखने की अनुमति देंगे, किसी को सीमा पार नहीं करनी चाहिए।
कोर्ट ने पिछली 5 अगस्त को सभी याचिकाकर्ताओं से अपनी याचिका की कॉपी केंद्र सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी नहीं किया था। कोर्ट ने कहा था कि बिना केंद्र सरकार का पक्ष सुने नोटिस जारी नहीं करेंगे।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ने याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल से पूछा था कि 2019 में इस तरह की बात सामने आई थी कि जासूसी की जा रही है। आज 2 साल बाद याचिका क्यों दायर की गई है। तब सिब्बल ने कहा था कि तब यह नहीं पता था कि इस जासूसी का दायरा कितना बड़ा है। फिलहाल के खुलासे के बाद रोज-रोज नई बातें सामने आ रही हैं। सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक रजिस्ट्रार की भी जासूसी हो रही थी।
सुप्रीम कोर्ट में पेगासस की जांच की मांग करते हुए अब तक पांच याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका दायर करने वालों में वकील मनोहर लाल शर्मा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास, वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार, परंजॉय ठाकुरता समेत पांच पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड की याचिका शामिल है।