उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों को मनाने की कवायद में जुट गई है। उम्मीद की जा रही है कि सीएम योगी के गन्ना मूल्य बढ़ाने और पराली के मुकदमे वापस लेने के फैसले के बाद वो किसानों को बीजेपी से जोड़े रखेंगे…हांलांकि आगामी चुनाव को देखते हुए विपक्ष किसानों के नाम पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है..और खेतों में चुनावी चौपाल सजा रहे विपक्षी दांव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी चौकन्नी भी है। यही वजह है कि किसान मोर्चा के जरिये बीजेपी फिर से भरोसे का एक मंच सजाने की तैयारी रही है।
सितंबर महीने में बीजेपी की प्रस्तावित किसान सम्मेलन से पार्टी किसानों के समर्थन का बड़ा संदेश देना चाहती है… बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार के कार्यकाल में सिर्फ कृषि कानून विरोधी आंदोलन ही बीजेपी के लिए सिरदर्द बनकर सामने आया। बेशक, आंदोलन का असर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में रहा, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका खास असर देखने को नहीं मिला। वहीं, विपक्षी दल ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं कि किसान बीजेपी सरकार के विरोध में हैं। इसे देखते हुए ही किसान मोर्चा को खास तौर पर सक्रिय किया गया है।
90 विधानसभा क्षेत्रों में किसान संवाद कार्यक्रमों के बाद…मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घोषणा कर चुके हैं कि गन्ना मूल्य बढ़ाया जाएगा, पराली जलाने के मुकदमे वापस होंगे, बकाया बिल के कारण किसानों के बिजली कनेक्शन नहीं काटे जाएंगे और नए पेराई सत्र से गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान भी कर दिया जाएगा। यह बड़े फैसले हैं, जो किसानों को काफी राहत देंगे।इसके बावजूद बीजेपी किसान वर्ग को अपने से जोड़े रखने की पूरी करेगी.. किसानों से लगातार संपर्क अभियान चलेगा और प्रदेश भर के किसानों का सम्मेलन आयोजित कर पार्टी किसानों के समर्थन का संदेश देना चाहेगी। किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह ने बताया कि सम्मेलन सितंबर महीने में प्रस्तावित है। अभी स्थान और तारीख तक नहीं किया गया है।