भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने पूर्व क्रिकेटर और कोच वासु परांजपे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। 82 वर्षीय परांजपे का सोमवार को यहां मातुंगा में अपने आवास पर निधन हो गया था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा पूर्व भारतीय खिलाड़ी और पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता जतिन हैं।
परांजपे ने1956/57-1969/70 तक मुंबई और बड़ौदा के लिए 29 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें उन्होंने दो शतक और दो अर्धशतकों के साथ 785 रन बनाए, परांजपे ने कोच और संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका में एक स्थायी छाप छोड़ी।
क्रिकेट की अपनी उत्कृष्ट समझ के साथ, उन्होंने मुंबई और भारत के कई दिग्गजों के करियर को आकार दिया। तकनीकी बारीकियों से परिपूर्ण परांजपे ने अपने मानव-प्रबंधन कौशल का बखूबी इस्तेमाल किया। उन्हें बोर्ड द्वारा 80 के दशक में कोचिंग का निदेशक नियुक्त किया गया था और वह जूनियर क्रिकेटरों के शिविरों के मुख्य कोच थे। 2000 में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का उद्घाटन होने पर परांजपे भी कोचों के पहले सेट में शामिल थे।
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा, ‘‘मुझे वासू सर के साथ अपनी बातें याद हैं। वह हर छोटी चीज की जानकारी रखने वाले शानदार कोच के अलावा काफी मजाकिया भी थे। उनके साथ कभी उबाऊ लम्हा नहीं आया क्योंकि वे हमें उन क्रिकेटरों की शानदार कहानियां सुनाते थे जिन्हें देखते हुए हम बड़े हुए।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘उन्होंने भारतीय क्रिकेट की सेवा करने वाले क्रिकेटरों का करियर संवारने में पर्दे के पीछे से शानदार भूमिका निभाई। मैं जतिन और पूरे परांजपे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’
बीसीसीआई सचिव जय शाह ने कहा, ‘‘अपने पूरे करियर के दौरान,वासु परांजपे जी ने खेल और मानव-प्रबंधन कौशल की अपनी गहरी समझ के माध्यम से अनगिनत क्रिकेटरों के करियर को ढाला। उन्होंने उन्हें निडर बना दिया। एक दूरदर्शी व्यक्ति, वह हमेशा अपने समय से आगे थे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके बेटे जतिन और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ हैं।’’