नई दिल्ली :- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में घरेलू खाद्य तेलों की कमी न होने पाए, इसके लिए केन्द्र सरकार व्यापक स्तर पर काम कर रही है। बीते सात वर्षों के दौरान ऐसी कई योजनाएं केन्द्र सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं, जिससे किसान तिलहन की खेती की ओर आकर्षित हों।
तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए बताया कि तिलहन और खाद्य तेलों के उत्पादन में साल दर साल वृद्धि हो रही है। वर्ष 2017-18 में देश तिलहन और खाद्य तेलों का उत्पादन 314.59 लाख टन कर रहा था। उत्पादन का यह आंकड़ा वर्ष 2020-21 में बढ़कर 365.65 तक पहुंच गया। वर्ष 2017-18 में हम विदेशों से 154 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करते थे जो कि वर्ष 2020-21 में घटकर 133.70 लाख टन हो गया।
तोमर ने कहा कि देश तिलहन और खाद्य तेल उत्पादन में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो, इसके लिए केन्द्र सरकार व्यापक स्तर पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चाहे किसानों को उन्नतशील बीज देने की बात हो या फिर उनको प्रशिक्षित करने की बात हो, कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से यह कार्य व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। सरकार तिलहन और पाम ऑयल के उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने और घरेलू खाद्य तेलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन और ऑयल पाम) कार्यान्वित कर रही है। यह स्कीम खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने और तिलहन फसलों जैसे सोयाबीन, मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सूरजमुखी, अरंडी, तिल, कुसुम, अलसी व नाइजर और पाम ऑयल का भी उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाकर आयात को कम करने के उद्देश्य से कार्यान्वित की जा रही है।
तोमर ने बताया कि तिलहन की नई जारी उच्च उपज वाली किस्मों को भी तिलहन मिनीकिट कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को निशुल्क वितरित किया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) / कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के माध्यम से किसानों को फ्रंट लाइन डिमॉन्स्ट्रेशन्स (एफएलडी) और क्लस्टर फ्रंट लाइन डिमॉन्स्ट्रेशन्स (सीएफएलडी) के माध्यम से प्रौद्योगिकी का आगे हस्तांतरण भी किया जा रहा है। तोमर ने बताया कि तिलहन व खाद्य तेलों के उत्पादन को लेकर केन्द्र सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उससे आने वाले समय में देश इस क्षेत्र में भी पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो जाएगा।