गोरखपुर :- महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना भारतीय चिकित्सा पद्धति की खोई प्रतिष्ठा स्थापित करने का प्रयास है। न सिर्फ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पुनर्जीवित होगी बल्कि योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथी को भी संजीवनी मिलेगी। प्राचीन काल की तरह स्थापित होकर ये चिकित्सा पद्धतियां एक बार फिर ‘लोक स्वास्थ्य’ में इजाफा की कारक बनेगीं। ‘आयुष’, एक बार फिर खिलखिलायेगा।
आयुष यानी जीवन। एक ऐसी विधा जो ‘लोक जीवन’ को ‘स्वास्थ्य’ संबंधी आयाम देती है। आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना से अब लोक स्वास्थ्य को पुष्टता मिलने की राह आसान होने वाली है। इन चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने से ‘लोक जीवन’ सरल और सरस बनेगा। स्वास्थ्य, शिक्षा और अनुसंधान को लोक कल्याणकारी बनाने वाली इन विधाओं को नया आयाम मिलेगा। इसकी इबारत गुरु गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर से लिखने की शुरुआत होने जा रही है। गोरक्षपीठ के शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों को एक साथ ‘पंख’ लगेंगे।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, औषधीय खेती को लगेंगे पंख
आयुष विश्वविद्यालय खुलने के बाद यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय लोगों के विकास की राह खुलेगी। वरिष्ठ पत्रकार राजीवदत्त पांडेय के मुताबिक तकरीबन तीन हजार लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलने की उम्मीद है। इनके स्वस्थ जीवन को आर्थिक संबल मिलने से खुशहाली आएगी। औषधीय खेती करने वाले किसानों के दिन बहुरेंगे। पढ़कर निकलने वाले चिकित्सक अब एक प्रोफेशनल तरीके को अख्तियार करेंगे। देश-दुनिया में इसकी स्वीकार्यता और अधिक बढ़ेगी।
नियमित दिनचर्या बढ़ाएगा स्वास्थ्य
योग के जानकार और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण से सम्मानित साहित्यकार प्रमोद कांत का कहना है कि विवि खुलने से स्थानीय व क्षेत्रीय लोगों में योग विद्या का प्रति समझ बढ़ेगी। दैनिकचर्या नियमित होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहने लगेगा। एक स्वस्थ मनुष्य ही विकास का साक्षी बनता है।
सेवा भारती अध्यक्ष ने कहा
गोरक्ष प्रान्त के सेवा भारती के अध्यक्ष अतुल सर्राफ का कहना है कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को लेकर सेवा भारती काफी संजीदा है। कोविड काल में इस क्षेत्र में कार्य की गति बढ़ी। गरीब, असहाय और समाज के अंतिम व्यक्ति के स्वास्थ्य की चिंता आयुष औषधियों में ही ज्यादा दिखी। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महज कुछ वर्षों में इसे धरातल पर उतार दिया। यह सराहनीय व लोकहितकारी कदम है।
आसानी से मिलेगा कच्चा माल
श्रीरामलीला एवं मेला न्यास, कुशीनगर के प्रबंधक शिवप्रताप नारायण सिंह का कहना है कि विवि को न सिर्फ पड़ोसी देश नेपाल में मिलने वाली औषधीय पौधों से शोध कार्य को गति मिलेगी, बल्कि दैवीय गुणों से युक्त ‘देवारण्य’ क्षेत्र में स्थापित इस विश्वविद्यालय को स्थानीय-क्षेत्रीय स्तर से भी पर्याप्त सहयोग मिलेगा। आयुर्वेद लोगों के मन-मस्तिष्क में रचा-बसा है। सिर्फ इसे याद दिलाने की जरूरत थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे समझा और लोक-कल्याण के कार्य को लपक लिया है। प्रदेश को अच्छा आर्थिक संबल मिलने का जरिया स्थापित किया। ये विधाएं न सिर्फ आसानी से सुलभ होंगी, बल्कि सस्ती भी होंगी।
कहते हैं आयुर्वेदाचार्य
आयुर्वेदाचार्य पंडित (डॉ.) प्रेमनारायण मिश्र कहते हैं कि आयुष का अभिप्राय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी से है। आयुष मंत्रालय इन सभी स्वास्थ्य प्रणालियों के संवर्द्धन एवं विकास के लिए कार्य कर रहा है। इनसे आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर इनसे संबंधित चिकित्सा शिक्षा के संचालन को बढ़ावा दे रहा है। अब गांव-देहात के लोगों को एक बार फिर प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर विश्वास होगा। ‘जीवन’ स्वस्थ और खुशहाल होगा।
Publish by- shivam Dixit
@shivamniwan