कौशाम्बी: शहीद सैनिक नरेन्द्र का पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह गांव रामसहाय पुर पहुंचा। तिरंगे में लिपटे गांव के जांबाज लाल को देखते ही हर आंख नम हो गई। अंतिम दर्शन को हज़ारों की भीड़ उमड़ पड़ी। माहौल गमगीन हो गया। पार्थिव शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो परिवार के लोगों में कोहराम मच गया। लोगों ने उनके अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी।
दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
बुधवार की सुबह शहीद के पार्थिव शव को सेना के वाहनों में गांव लाया गया तो उनके अंतिम दर्शन पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ गई। लोगों ने उनके घर पर अंतिम दर्शन किए, उसके बाद उनकी शवयात्रा गमगीन माहौल में गांव की गलियों से होती हुई पूर्व निर्धारित शहीद स्थल पहुंची तो हजारों लोगों ने ‘भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा, नरेन्द्र तेरा नाम रहेगा’ जैसे नारे लगाए। लगभग 1 किमी लंबी शव यात्रा में सांसद विनोद सोनकर, विधायक सिराथू शीतला पटेल, डीएम सुजीत कुमार, एसपी राधेश्याम समेत दूसरे अधिकारी भी मौजूद रहे। शवयात्रा पर पुष्प वर्षा की गई। शव यात्रा शहीद स्थल पहुंची और गार्ड ऑफ ऑनर और सैनिक सम्मान के साथ शहीद के पार्थिव शव का अंतिम संस्कार किया गया।
2006 में सेना के इंजीनियरिंग कोर हुए थे भर्ती
कौशाम्बी में रामसहाय पुर गांव के 38 वर्षीय नरेन्द्र कुमार वर्ष 2006 में पुणे से सेना की 105 इंजीनियरिंग कोर में भर्ती हुए थे। जबाजी और बहादुरी ने उन्हें सेना की 72वीं टास्क फ़ोर्स (स्पेशल ऑपरेशन) का हिस्सा बनाया। नरेन्द्र कुमार ने 16 साल तक देश की सेवा की। गोवा, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, सहित देश के अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दी। वर्तमान समय में बतौर हवलदार नरेन्द्र कुमार औरंगाबाद में माओवादी संगठन से मोर्चा ले रहे थे। जनवरी 3 की रात घात लगाकर बैठे देश के दुश्मनों ने कॉम्बिग के दौरान अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। जिसमें कॉम्बिग दल के दो जवान शहीद हो गए और कई घायल हो गए। घायलों में नरेन्द्र भी शामिल थे। जिनका इलाज पुणे के कमांड हॉस्पिटल में किया जा रहा था। 23 अगस्त यानी सोमवार को किडनी में इंफेक्शन बढ़ने के चलते नरेन्द्र कुमार का निधन हो गया। घायल जवान की शहादत से सेना की यूनिट और परिजनों में गम का माहौल है।
ऐसे आई थी गर्व कर देने वाली शहदात की खबर
नरेन्द्र की पत्नी दीपा तीनों बच्चों के साथ अपने मायके में थीं। 4 जनवरी की सुबह लगभग 11 बजे अचानक सेना की यूनिट से फोन आता है। पिता लल्लूराम दिवाकर ने फोन रिसीव किया। बेटे नरेन्द्र के गोली लगने से घायल होने की जानकारी दी गई। परिवार के लोग सेना के अस्पताल के लिए रवाना हो जाते हैं। करीब आठ माह के लम्बे इलाज के दौरान शनिवार को कमांड हॉस्पिटल के डाक्टरों ने नरेन्द्र की हालत बेहद खराब होने की जानकारी दी। पिता भाई माँ और पत्नी सभी नरेन्द्र के पास आखिरी वख्त में थे। सोमवार की सुबह नरेन्द्र ने 7 बजकर 36 मिनट पर आखिरी सांस लेकर दुनिया को अलविदा कह दिया।