कानपुर: दक्षिणी पश्चिमी मानसून से कानपुर नगर जनपद के शहरी इलाकों में बारिश भले ही सामन्य से कम हुई हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में झमाझम बारिश हुई। इसके साथ ही बुन्देलखण्ड और दक्षिण पश्चिमी जनपदों में हुई तेज बारिश से 39 साल बाद कानपुर में यमुना का रौद्र रुप देखा गया और घाटमपुर के दर्जनों गांवों में 12 फीट तक बाढ़ का पानी चढ़ गया। भीषण जलभराव से करीब 15 हजार बीघे की फसल किसानों की नष्ट हो गई है। हालांकि जलभराव अब कम हो गया है, लेकिन पानी उतरने से ग्रामीणों में बीमारी की संभावना बढ़ गई है, साथ ही जानवरों का चारा और इंसान का दाना भी छिन गया है।
यमुना नदी इस बरसात में पूरी तरह से उफान पर रही और कानपुर के घाटमपुर इलाके में पिछले 39 साल का रिकार्ड टूट गया। यमुना का पानी करीब 12 फीट तक चढ़ गया जिससे तहसील के गड़ाथा, अमरतेरपुर, कटरी, मोहटा समेत कई गांव जलमग्न हो गये। इन गांवों की फसल भी पूरी तरह से नष्ट हो गई, जिससे यहां के लोग जानवरों के लिए चारा और इंसान के लिए दाना को मजबूर हो रहे हैं। वहीं आठ दिन बाद जब पानी घटने लगा है तो बर्बादी नजर आने लगी है।
15 हजार बीघा से ज्यादा की फसल बर्बाद हो चुकी है। गांवों में अब बीमारी फैलने का डर सताने लगा है। चारों तरफ कीचड़ और सड़ांध होने लगी है। गांवों में मातम जैसा माहौल है। दर्जनों मकान गिर गए हैं, जानवर लापता हैं। अनाज घरों में सड़ने लगा है। गांव में बाढ़ के बाद इस कदर दुर्गंध है कि खड़ा होना भी मुश्किल है। ग्रामीणों ने बताया कि रात में अचानक पानी चढ़ने लगा, जितना अनाज निकाल पाये उतना निकाल लिया। बाकी भींगकर सड़ रहा है। बीमारियां गांव के द्वार पर खड़ी हैं और सरकारी मदद कोसों दूर हैं। रामकुमार तिवारी ने बताया कि बाढ़ के बाद सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग की जरूरत होती है। टीमें आती हैं लेकिन एक किमी. अजगरपुर में बैठी रहती है। गांव में आज तक नहीं आई।