लखनऊ :- यहां लाठियों की तड़तड़ाहट तो सुनाई देती है, लेकिन किसी को तनिक भी खरोंच नहीं आती बल्कि रिश्तों में मिठास घुल जाती है। बुंदेली दीवारी व पाई डंडा नृत्य अलग ही पहचान बनाए हुए है। इस बुंदेली लोकनृत्य की अनूठी विधा का अब महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद भी दीदार करेंगे।
श्रीराम की पावन भूमि अयोध्या में राम रामायण कान्क्लेव के उद्घाटन समारोह में 29 अगस्त को पाई डंडा नृत्य कलाकारों का दल लोकनृत्य की प्रस्तुति देगा।
बुन्देलखण्ड के बुन्देली दीवारी लोक नृत्य दल को श्री राम की पावन भूमि अयोध्या में जन जन के राम रामायण कान्क्लेव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद के आगमन पर स्वागत एव अभिनंदन के लिये बाँदा के दीवारी लोक नृत्य दल को अयोध्या मे आमंत्रित किया गया है। संस्कृति विभाग लखनऊ एवं अयोध्या शोध संस्थान के द्वारा दीवारी नृत्य दल अयोध्या जायेगा। यह जानकारी नटराज जन कल्याण समिति दीवारी शोध संस्थान के सचिव रमेश प्रसाद पाल ने दी है।
रमेश प्रसाद पाल जो खुद पाई डंडा नृत्य कलाकार हैं और इस दल का नेतृत्व कर रहें हैं ने बताया कि बुन्देलखण्ड़ की लोक कला दीवारी नृत्य न केवल देश अपितु विदेशों में भी अपनी खुशबू बिखेरी है। इस लोक कला से जुडे हुए कलाकार पूरी तन्मयता और लगन से जुड़कर इस कला को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।कहा कि बुन्देलखण्ड़ की इस लोक कला को यहां के लोक कलाकार न केवल जिन्दा रखे हुए हैं अपितु इस कला को आगे बढा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि दीवारी नृत्य का उद्गम एवं विकास बुन्देलखण्ड़ के बांदा जनपद से हुआ है। श्री पालने कहा कि पाई डण्डा एवं दीवारी नृत्य में युद्ध के समय प्रयोग होने वाले वाद्य यंत्र नागाड़ा एवं उसका लघु रूप नगड़िया का प्रयोग होता है तथा पैर एवं कमर में घुंघरू की पाजेब एवं पेटी का प्रयोग होता है।
बताते चलें कि इस नृत्य दल ने नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड 2005, नेशनल फोक डांस फेस्टिवल 2007, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के कामनवेल्थ गेम में लोक नृत्य, मुलायम सिंह यादव के 75 में जन्म दिवस और अखिल भारत रचनात्मक समाज जालंधर पंजाब के कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर चुके हैं। इसके अलावा विदेश व देश के विभिन्न राज्यों में दीवारी नृत्य की अद्भुत कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
Publish by- shivam Dixit
@shivamniwan