काबुल :- अफगानिस्तान में तालिबानी राज आते ही देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने भी अब अफगानियों को धोखा दे दिया है। हशमत गनी अहमदजई ने आतंकवादी संगठन तालिबान के साथ हाथ मिला लिया है। ग्रैड काउंसिल के प्रमुख हशमत गनी अहमदजई ने तालिबानी नेता खलील उल रहमान (Khalil-ur-Rehman) और मुफ्ती महमूद जाकिर (Mufti Mahmood Zakir) की मौजूदगी में तालिबान के लिए अपने समर्थन की घोषणा की।
दरअसल, ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया गया है, जिसमें अशरफ गनी के भाई को तालिबान में शामिल होता दिखाया गया है। मोहम्मद जलाल ने यह वीडियो साझा किया है। हशमत गनी ने अलहज खलील उर रहमान हक्कानी से मुलाकात के बाद अपना समर्थन देने का वादा किया है।
बता दें कि अशरफ गनी इस समय अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हैं। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बीच 15 अगस्त को अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे। हालांकि अफगानिस्तान में सरकार के बेदखल होने के बाद उन्होंने अपनी बात सामन रखी थी। फेसबुक पर जारी वीडियो में अशरफ गनी ने बताया था कि अगर वह मुल्क छोड़कर नहीं जाते तो बहुत खून-खराबा होता। वह अपने देश में ऐसा होते नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्हें हटना पड़ा। गनी ने वीडियो में कहा था,
“तालिबान से हुए समझौते में साफ कहा गया था कि वो काबुल शहर के अंदर नहीं आएंगे. रविवार (15 अगस्त) दोपहर मुझे मेरे गार्ड्स ने बताया कि तालिबान राष्ट्रपति महल की बाउंड्री वॉल तक पहुंच चुके हैं. अगर मैं अफगानिस्तान में रहता तो देश के लोग एक और राष्ट्रपति को सरेआम फांसी के फंदे पर लटकते देखते.”
“मैं देश से किसी तरह का कैश लेकर नहीं निकला. मैंने यूएई पहुंचने के बाद एक आम नागरिक की तरह कस्टम क्लियरेंस ली. इसकी तस्दीक कस्टम से की जा सकती है. मैं इतनी जल्दबाजी में देश से निकला कि अपने जूते तक नहीं पहन पाया. मैं बस अपने कपड़े ही साथ लाया हूं.
आपको बता दें कि इसी बीच अमरुल्लाह सालेह ने खुद को देश का वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। सालेह ने कहा है कि वह तालिबान का समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने तालिबान के खिलाफ पंजशीर शहर से लड़ाई शुरू कर दी है। सालेह ने बताया कि वह अभी भी अफगानिस्तान के अंदर हैं।
Publish by- Anurag Chaddha